मथुरा के वृन्दावन में स्थित जयपुर मंदिर, ब्रज का सबसे बड़ा मंदिर है | यह मन्दिर जयपुर के महाराजा माधव सिंह ने आज से लगभग 100 वर्ष पहले का निर्माण कराया था |
विषय सूचि
जयपुर मन्दिर Timings
Darshan Timings | 7:00 AM – 12:00 PM 4:00 PM – 9:00 PM |
Address | NH2-Bhuteshwar Rd, Kishor Pura, Vrindavan, Uttar Pradesh 281121 |
Entry Fee | 0 INR |
Location:
जयपुर मन्दिर का इतिहास – Jaipur Mandir History
मंदिर का निर्माण 1917 में जयपुर के महाराज माधव सिंह ने अपने गुरु ब्रह्मचारी गिरधारी चरण के कहने पर करवाया था इसे बनने में 40 साल का समय लगा और इसमें कई हजार मजदूरों और कुशल कारीगरों ने काम किया कहा जाता है कि महाराज ने खुद साल दर साल इसके निर्माण और संरचना का निरीक्षण किया |
जयपुर मंदिर की बनावट – Architecture
इस मंदिर की नक्काशी राजस्थानी शैली में की गई है | इस मन्दिर के स्तंभ दीवारें, अथवा हर चीज़ एक उत्कृष्ट नमूना है | यहाँ मंदिर में एक विशाल प्रांगण है | इस मंदिर का निर्माण उसी बलुआ पत्थर से किया गया है जिससे दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन भी बना हुआ है | महाराज माधव सिंह ने यह पत्थर राजस्थान के धौलपुर जिले के बंसी पहाड़पुर से मंगवाया था | मुख्य मंदिर के द्वार के दोनों तरफ पत्थर से तुलसी चौरा बनाए गए हैं जिनमें एक साथ 108 दीपक जलाने के लिए खूबसूरत नक्काशीदार आले बनाए गए है | यहाँ एक परिक्रमा मार्ग भी है | मंदिर के तीन तरफ दरवाजे हैं एक सामने की तरफ है और दो लेफ्ट और राइट में है | यहाँ श्रीपाद बाबा गौशाला है जो की माना जाता हैं कि वृंदावन की सबसे बड़ी गौशाला है | इस गौशाला में 7000 गाय गोवंश निवास करते हैं |
मन्दिर निर्माण के लिए महाराजा ने कराया रेल निर्माण
सौ साल पहले मंदिर निर्माण के लिए मकराना व भरतपुर से पत्थर लाने थे। दुरी ज्यादा होने की वजह से राजा माधो सिंह ने मंदिर निर्माण में देरी न हो इसके लिए मथुरा से वृंदावन तक विशेष रेल लाइन डलवाई। निर्माण कार्य पूर्ण होने पर यह रेल मार्ग आम यात्रियों के लिए काम में आया |