सभी कृष्ण भक्त जानते ही हैं की श्री कृष्ण आज भी निधिवन में रासलीला करते हैं | यह मथुरा वृन्दावन के विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है | इन्ही में से एक स्थान है वृन्दावन का ही निधिवन मंदिर | निधिवन वृन्दावन के सबसे प्रमुख लीला स्थलियों में से एक है | इससे जुडे अनेकों रहस्य हैं, जो श्री कृष्ण के प्रतिदिन पधारने के प्रमाण देते है | 

मेरो वृन्दावन एंट्री पॉइंट से दुरी – 4 KM

निधिवन दर्शन का समय
प्रात: – 05:00 AM – 01:00 PM
सायं – 03:00 PM – 07:00 PM

पेड़ बन जाती हैं गोपियाँ

Nidhivan Tree
Nidhivan Tree | निधिवन के पेड़

प्राचीन मान्यताओं की मानें तो निधिवन में स्थित सभी पेड़ रात्रि के समय अपनी 16108 गोपियों का रूप ले कर स्वयं श्री कृष्ण के साथ रास रचती हैं | और प्रात: ही सभी गोपियाँ वापस पेड़ों का रूप ले लेती हैं | निधिवन का यह रहस्य पूरा विश्व जानता है | माना जाता है की अगर कोई मनुष्य भूल से भी यह रास देख लेता है तो सुबह तक उसकी आँखों की रौशनी चली जाती है या उसकी मृत्यु हो जाती है | 

इसी से बचने के लिए निधिवन रात्रि के समय कईं तालों से बंद कर दिया जाता है जिसके बाद किसी को भी अंदर रुकने की अनुमति नहीं होती | रात के समय में निधिवन के आस पास स्थित घरों की खिड़कियाँ भी रात्रि होने से पहले ही बंद कर दी जाती हैं जिससे की गलती से भी कोई निधिवन की ओर न देखे | 

रंग महल का रहस्य (Rang Mahal Mystery)

Rang Mahal
Rang Mahal | रंग महल

निधिवन के रंग महल का रहस्य भी किसी से छुपा नहीं है | रंग महल में रोज रात में श्री कृष्ण राधा जी का श्रृंगार करते हैं | मंदिर के पुजारी शाम को रंग महल में श्री राधा रानी जी का श्रंगार का सामान, श्री कृष्ण के लिए लड्डू, दातुन, लोटे में पानी और बिस्तर लगाया जाता है | सभी सामान रखने के बाद रंग महल के दो दरवाजे में 7 ताले लगाए जाते हैं जिससे की कोई भी अंदर ना जा सके | सुबह जब रंग महल को खोला जाता है तो सारा सामान अस्त-व्यस्त पाया जाता है | भोग लगा हुआ लड्डू, चढ़ाया हुआ दातुन, पान और लोटे में जो पानी रखा जाता है वह भी कम पाया जाता है | सुबह यही सब सामान दर्शन करने आये भक्तों में बाँट दिया जाता है | माना जाता है की दिन में यहाँ रहने वाले जीव जन्तु जैसे बन्दर, चिड़िया आदि शाम होते होते निधिवन से दूर चले जाते हैं | 

कैसे हुई मंदिर की स्थापना ? (Nidhivan History)

swami haridas
Swami Haridas Ji | स्वामी हरिदास जी

जब संगीत सम्राट तानसेन के गुरु, स्वामी हरिदास यहाँ तपस्या करते थे तो एक दिन श्री कृष्ण स्वयं उनकी भक्ति से प्रसन्न हो कर हरिदास से के सपने में आये | और हरिदास जी को आदेश दिया की मैं इसी स्थान दबा हुआ हूँ, मुझे निकालो | तब ब्रज वासियों की सहायता से हरिदास जी ने यह जगह खुदवाई | तब उस स्थान पर बांके बिहारी जी ने उन्हें दर्शन दिए | इसके बाद वहां बांके बिहारी जी का मंदिर बनता है जिससे कहा जाता है की रोज़ रात के समय बांके बिहारी जी मंदिर से निधिवन रास करने जाते हैं | 

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Last Update: 19 May 2024