सफेद संगमरमर की आपार सुंदरता और अपनी भव्य रचनात्मक कलाकृति के साथ,श्री कृष्ण और भाई बलराम के असीम प्रेम को दर्शाता भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर। जिसे कृष्ण बलराम मंदिर (Sri Sri Krishna Balaram Mandir) के साथ-साथ इस्कॉन वृन्दावन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। जो भारत में इस्कॉन द्वारा निर्मित पहला मंदिर है। इसी मंदिर के बाद में प्रेम मंदिर, कीर्ति मंदिर इत्यादि बने | आइए इस लेख के माध्यम से, हम आपको इस भव्य मंदिर की दिव्य यात्रा पर ले चलते हैं।

दर्शन का समय

प्रात: – 4:30 AM – 12:45 PM
सायं 4:30 PM – 8:00 PM

वास्तुकला एवं निर्माण शैली-

  • sri sri krishna balaram mandir

सफेद संगमरमर से निर्मित इस्कॉन मंदिर, वृन्दावन के प्रमुख मंदिरों में से एक होने के साथ ही प्रभावशाली संरचनाओं में से एक भी है। जो जटिल नक्काशीदार दीवारों और गुंबदों  के लिए जाना जाता है। जहां घुमावदार सीढ़ियों के साथ-साथ तोरणद्वारों की विशिष्ट कारीगरी देखते ही बनती है। इसके साथ ही मंदिर परिसर में मौजूद तीन मंदिर,सम्पूर्ण इस्कॉन वृन्दावन मंदिर (ISKCON Mandir Vrindavan) की छटा को अत्यंत शोभनीय बनाते हैं। जिनमें सबसे पहला मंदिर भगवान श्री कृष्ण और भाई बलराम को समर्पित है। दूसरा श्री गौरा-निताई यानि श्री चैतन्य महाप्रभु और नित्यानंद को समर्पित है। वही तीसरा और सबसे आखिरी श्री श्यामसुंदर मंदिर, भगवान कृष्ण और राधा रानी को समर्पित है।

इस्कॉन वृन्दावन मंदिर के दरवाजे में प्रवेश करते के साथ हीं, चौकोर काले और सफेद संगमरमर का प्रांगण ध्यान आकर्षित करता है। इसके अलावा विशाल मंदिर परिसर के गलियारों में, विभिन्न कृष्ण लीलाओं को दर्शाने वाले चित्र प्रदर्शित किए गए हैं। जो देखते हीं आपका मन मोह लेंगे। इन सब के अलावा विशाल इस्कॉन मंदिर परिसर में एक गेस्ट हाउस, आवासीय ब्रह्मचारी आश्रम, एक देवता विभाग, रेस्तरां, बेकरी, स्मारि का दुकान और श्रील प्रभुपाद जी की समाधि भी मौजूद है।

मंदिर की अन्य विशेषताएं

वृन्दावन के रमन रेती क्षेत्र में स्थित इस भव्य इस्कॉन वृन्दावन मंदिर का निर्माण, वर्ष 1975 में स्वयं श्री प्रभुपाद जी ने करवाया था। जो एक गौड़ीय वैष्णव मंदिर है। जो श्री कृष्ण-बलराम के दिव्य भाईचारे और प्रेम के उत्सव का प्रतीक है। जहां लाखों की संख्या में भक्त, इस भव्य मंदिर में श्री कृष्ण-बलराम के प्रेम के साथ-साथ श्री राधे-कृष्ण के बंधन को नमन करने आते हैं। अपनी परंपरा में अद्वितीय इस्कॉन वृन्दावन मंदिर उसी स्थान पर स्थित है, जहां श्री कृष्ण और श्री बलराम  ने अपना बचपन व्यतीत किया था। यही कारण है कि इस मंदिर में श्री कृष्ण अवतरण दिवस यानि जन्माष्टमी को विशेष रूप से मनाया जाता है।

Swami Srila Prabhupada
Swami Srila Prabhupada | श्रील प्रभुपाद जी

वास्तव में श्री चैतन्य महाप्रभु के दिव्य संदेश को फैलाने के उद्देश्य से,श्री एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा 1966 में न्यूयॉर्क शहर में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस यानि इस्कॉन की स्थापना की गई थी।

श्री चैतन्य महाप्रभु | Chaitanya Mahaprabhu
श्री चैतन्य महाप्रभु | Chaitanya Mahaprabhu

इस्कॉन द्वारा अपनाए गए सिद्धांत और प्रथाएं श्री चैतन्य महाप्रभु के साथ-साथ उनके भाई नित्यानंद प्रभु और उनके छह प्रमुख सहयोगियों अर्थात् गोस्वामियों द्वारा निर्धारित धारणाओं पर आधारित है। जिनमें गोपाल भट्ट, सनातन गोस्वामी, रघुनाथ भट्ट, रूप गोस्वामी, जीव गोस्वामी और रघुनाथ दास शामिल हैं। जिन्हे षड्गोस्वामी के नाम से भी जाना जाता है। इस्कॉन मंदिर श्रील प्रभुपाद के भक्तों के लिए एक शक्ति का स्रोत है। जिसे स्वयं श्रील प्रभुपाद ने व्यक्तिगत रूप से, मंदिर के प्रत्येक पहलुओं को अपनी निगरानी में रखते हुए निर्माण करवाया है। इसलिए इस्कॉन वृन्दावन मंदिर को, पूरी दुनिया में कृष्ण के विचारधारा को फैलाने वाले एक शक्ति के केंद्र के रूप में भी देखा जाता है।

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Last Update: 22 May 2024