ब्रजधाम के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक श्री राधा गोपीनाथ मंदिर, अपनी ऐतिहासिक विशेषता के लिए प्रसिद्ध है।वृंदावन की पवित्र भूमि पर मौजूद, इस मंदिर के निर्माण से लेकर मूर्ति तक की अपनी एक अलग कहानी है। जो भगवान श्री कृष्ण का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जो देव भूमि भारत में तीन स्वरूपों में मौजूद है। तो आइए माँ यमुना के तट पर मौजूद, इस दिव्य मंदिर की भव्यता से आपको अवगत कराते हैं और साथ हीं इसके दो अन्य स्वरूपों के भी दर्शन कराते हैं।

दर्शन का समय

प्रात: – 5:00 AM – 12:30 PM
सायं – 4:00 PM – 9:00 PM

मेरो वृन्दावन एंट्री पॉइंट से दुरी – 9 KM

राधा गोपीनाथ मंदिर की बनावट और विग्रह का वर्णन

श्री राधा गोपीनाथ जी मंदिर
श्री राधा गोपीनाथ जी मंदिर | Shree Radha Gopinath Ji Mandir

यमुना किनारे केशीघाट के समीप स्थित, श्री राधा गोपीनाथ मंदिर का निर्माण लाल पत्थरों से हुआ है। जिसका निर्माण चैतन्य महाप्रभु के अनुयायियों में शामिल, मधु पंडित के सान्निध्य में करवाया गया था। जिसके निर्माण का श्रेय सन् 1589 में, कछवाहा सरदार रायसेन को भी दिया जाता है। वहीं श्री गोपीनाथ रूपी भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि, इसका निर्माण श्रीकृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ ने देवशिल्पी विश्वकर्मा से करवाया था। जो दिखने में हूबहू भगवान श्रीकृष्ण जैसा है।

गोपीनाथ मंदिर में मुरलीधर भगवान के बांसुरी वादक स्वरूप के दर्शन होते हैं। जहां भगवान अपनी बायीं ओर अनंग-मंजरी और दाहिनी ओर राधा जी के साथ खड़े हैं। वहीं ललिता और विशाखा दोनों तरफ उनका साथ देती हैं।मंदिर परिसर में ही आचार्य मधु पंडित की भी समाधि स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि, मंदिर में विराजमान ठाकुरजी की मूर्ति बहुत ही चमत्कारी है और मंदिर में आने वाले सभी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है।

मंदिर का इतिहास – Radha Gopinath Mandir History

श्री राधा गोपीनाथ जी मंदिर
श्री राधा गोपीनाथ जी मंदिर | Shree Radha Gopinath Ji Mandir

कालांतर में भगवान गोपीनाथ की मूर्ति, गौड़ीय संत परमानंद भट्टाचार्य जी को वंशीवट के समीप यमुना तट पर प्राप्त हुई थी। जिसे उन्होंने सेवा के लिए अपने शिष्य मधु पंडित को दिया था। मधु पंडित की प्रेरणा से ही गोपीनाथ मंदिर का निर्माण हुआ और ठाकुर गोपीनाथ की सेवा पूजा आरंभ हुई। वहीं अंग्रेजी हकूमत के दौरान मथुरा के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट रहे, इतिहासकार एफ.एस. ग्राउस ने लिखा है कि श्री गोविंददेव जी मंदिर और श्री राधा गोपीनाथ मंदिर के निर्माण का काल लगभग समान रहा।

लेकिन एक बात और है, जो गोविंददेव जी मंदिर और श्री राधा गोपीनाथ मंदिर को एक समान करती है। वो बात है इन दोनों मंदिरों पर हुए मुगल औरंगजेब के हमले। लेकिन इन प्रचंड हमलों के बावजूद ब्रज के हर मंदिर की भांति, राधा गोपीनाथ मंदिर भी और निखर कर सामने आया। 

मुगल आक्रमण – Mughal Attack

श्री राधा गोपीनाथ जी मंदिर  
जयपुर | Shree Radha Gopinath Ji Mandir Jaipur
श्री राधा गोपीनाथ जी मंदिर
जयपुर | Shree Radha Gopinath Ji Mandir Jaipur

सन् 1669 में बर्बर मुगल आक्रांता औरंगजेब के हमले से, भगवान गोपीनाथ की प्रतिमा को पहले राजस्थान के काम्यवन और उसके बाद जयपुर लाया गया था। वर्तमान में भगवान गोपीनाथ की वास्तविक प्रतिमा, जयपुर के गोपीनाथ मंदिर में मौजूद है। वहीं सन् 1821 में वृंदावन के राधा गोपीनाथ मंदिर में, प्रतिभू विग्रह की स्थापना की गई थी।

इस प्रकार भगवान गोपीनाथ वृंदावन के साथ-साथ काम्यवन और जयपुर में,अपने तीन स्वरूपों के साथ विराजमान हैं। जिनमें पहला वृंदावन का राधा गोपीनाथ मंदिर है, दूसरा राजस्थान का काम्यावन गोपीनाथ मंदिर है और तीसरा जयपुर का गोपीनाथ मंदिर है। लेकिन वृंदावन के सभी कृष्ण मंदिरों में, श्री राधा गोपीनाथ मंदिर का अपना एक अलग महत्व है। जिसकी गिनती वृंदावन के सप्तदेवालयों में से एक में होती है। जो ब्रजधाम की पावन भूमि पर मौजूद हर एक मंदिर की भांति,अपने एक अनोखे अतीत की गवाही देता है।

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Last Update: 19 September 2024