कृष्ण जन्मभूमि के दक्षिण में और मथुरा रेलवे स्टेशन से तकरीबन 2 किलोमीटर की दूरी पर शहर के बीचोबीच स्थित महादेव का भूतेश्वर महादेव मंदिर, धार्मिक और ऐतिहासिक रूप से ब्रजमंडल में काफी महत्व रखता है। यह मंदिर श्री कृष्ण की कुलदेवी माता कात्यायनी देवी मंदिर के ठीक समीप है | जहां मथुरा के कोतवाल के रूप में साक्षात शिव जी नगर की रक्षा करते हैं। जो सदियों से स्थानीय लोगों के अटूट श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक हैं। तो आइए इस अद्भुत मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातों पर दृष्टि डालते हैं।
मंदिर और शिवलिंग का वर्णन
भूतेश्वर महादेव मंदिर अपने अद्वितीय वास्तुकला और धार्मिक संरचना के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर की दीवारों पर सुन्दर नक्काशी और शिलालेख हैं, जो इसकी प्राचीनता और दिव्यता को प्रकट करते हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर भव्य नंदी की मूर्ति विराजमान है, जो भगवान शिव के प्रमुख गण माने जाते हैं। मंदिर के आंगन में एक पवित्र सरोवर भी स्थित है, जहां श्रद्धालु स्नान कर पवित्रता प्राप्त करते हैं।
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मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठित शिवलिंग अत्यंत प्राचीन और पवित्र माना जाता है। जिसकी विशेषता यह है कि इसका आकार और स्वरूप साधारण शिवलिंग से भिन्न है, जो इसे और भी अद्वितीय बनाता है। यहां शिवलिंग के चारों ओर प्रदक्षिणा करने के लिए एक विशाल प्रांगण है। मंदिर के इस प्राचीन शिवलिंग को नाग शासकों ने स्थापित किया था। लोक श्रुति के अनुसार मधु दानव की पराजय के बाद मथुरा नगरी की स्थापना के समय भूतेश्वर महादेव की भी स्थापना की गई थी। मंदिर में इस दिव्य शिवलिंग के साथ-साथ पाताल देवी का विग्रह भी मौजूद है।
मंदिर का इतिहास
भूतेश्वर महादेव मंदिर को कृष्णकालीन बताया जाता है। यहां भगवान शिव ने विभिन्न रूप धारण कर श्री कृष्ण की लीलाओं का दर्शन किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस स्थान पर भगवान शिव ने अपने भूतगणों के साथ ध्यान लगाया था, जिससे इसका नाम ‘भूतेश्वर’ पड़ा। इस मंदिर का उल्लेख विभिन्न पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। जहां भगवान भूतेश्वर पूरे शहर की रक्षा करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि, भगवान शिव सावन में मथुरा आए थे और ब्रजवासियों ने उनका दुग्धाभिषेक कर बेल पत्र चढ़ाया था।
आगे चल कर कर समय-समय पर विभिन्न शासकों और राजाओं ने इस मंदिर की मरम्मत और विस्तार कार्य करवाया, जिससे इसकी प्राचीनता आज भी बरकरार है। मुगल शासन के दौरान भी इस मंदिर को संरक्षित रखा गया और राजा मान सिंह द्वारा इसका पुनर्निर्माण किया गया।
मंदिर का महत्व
मथुरा में जहां लगभग सारे मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित हैं, वहीं भूतेश्वर महादेव मंदिर एक ऐसा मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। मथुरा में चार महादेव मंदिर हैं, जो मथुरा नगरी के रक्षक माने जाते हैं। पूर्व में पिघलेश्वर, उत्तर में गोकर्णेश्वर, दक्षिण में रंगेश्वर महादेव और पश्चिम दिशा के क्षेत्रपाल भूतेश्वर माने जाते हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि, जब तक यात्री श्री भूतेश्वर महादेव जी के दर्शन नहीं करते तब तक उनकी यात्रा सफल नहीं होती है।
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श्री भूतेश्वर महादेव मन्दिर में माँ काली, श्री पाताल देवी, श्री गिरिराज महाराज के साथ-साथ अन्य सुन्दर मंदिर भी मौजूद है। हर साल भाद्रपद मास को इसी मन्दिर से बृज चैरासी कोस परिक्रमा प्रारम्भ और समाप्त होती है। इसके साथ हीं यहां सोमवारी और प्रदोष व्रत के दिन विशेष पूजा की जाती है, जिससे भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। मंदिर के प्रांगण में स्थित पवित्र सरोवर में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि और पापों से मुक्ति की भी मान्यता है।
भूतेश्वर महादेव मंदिर मथुरा की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अद्वितीय उदाहरण है। यहां की दिव्यता, शांति और पवित्रता हर श्रद्धालु के मन को शांति और आनंद की अनुभूति कराती है। इस पवित्र स्थल का दर्शन हर व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण अनुभव है, जो उसे आत्मिक उन्नति और भगवान शिव की कृपा का अनुभव कराता है। मथुरा की इस पावन भूमि पर स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालु न केवल भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं बल्कि अपनी आत्मा को भी पवित्र और शुद्ध करते हैं।