अनिरुद्धाचार्य जी महाराज भारत के एक विश्व प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक गुरु और कथावाचक हैं। जो श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से समाज में अध्यात्म और धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उनके प्रवचन और कथाएं लाखों भक्तों के जीवन में आध्यात्मिकता का संचार करती हैं और उन्हें धार्मिक मार्ग पर अग्रसर करती हैं। वे एक करुणामय और दयालु गुरु के रूप में जाने जाते हैं, जो श्रीकृष्ण की लीलाओं और भागवत कथा के माध्यम से लोगों को धर्म और नैतिकता की महत्ता समझाते हैं।

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अनिरुद्धाचार्य जी महाराज अपने सरल, सहज और प्रेरणादायक प्रवचनों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका मुख्य उद्देश्य समाज को आध्यात्मिक जागरूकता की ओर प्रेरित करना और लोगों को भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन करना है। वे अब तक देश-विदेश में विभिन्न भागवत कथाओं का आयोजन कर चुके हैं। जहां उनके भक्त उनके ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक उपदेशों को सुनने के लिए एकत्र होते हैं। उनके प्रवचनों में भक्ति, प्रेम, करुणा और मानवता की शिक्षाएं प्रमुख रूप से होती हैं। जो लोगों को आत्मिक शांति और जीवन में सकारात्मकता की ओर बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

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महाराज जी का जन्म व बचपन

Aniruddhacharya ji
अनिरुद्धाचार्य जी महाराज | Aniruddhacharya ji

अनिरुद्धाचार्य जी महाराज का जन्म 27 सितंबर 1989 को मध्यप्रदेश के दामोही जिले के एक छोटे से गांव रिवझा में हुआ था। जिनका जीवन बचपन से ही धार्मिक परिवेश में बीता। उनके परिवार का माहौल धार्मिक था और उनके माता-पिता ने उन्हें आध्यात्मिक संस्कार दिए, जिससे उनकी धार्मिक रुचि बचपन से ही विकसित हुई।

उनका बचपन आरंभ से ही श्री कृष्ण की बाल लीलाओं को सुनते हुए व्यतीत हुआ। जहां भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं और उनके भक्तों की भक्ति की कहानियां उन्हें प्रेरित करती थीं। अनिरुद्धाचार्य जी महाराज को बचपन से ही धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करने और संत-महात्माओं के प्रवचन सुनने का शौक था। उन्होंने छोटी उम्र में ही भागवत कथा और श्रीकृष्ण की लीलाओं का गहन अध्ययन करना शुरू कर दिया था। बचपन में ही उनके भीतर भक्ति और अध्यात्म के प्रति गहरा लगाव विकसित हुआ और वे धार्मिक आयोजनों में भाग लेने लगे।

उनके माता-पिता और परिवार के लोग उनकी भक्ति और धर्म के प्रति समर्पण से प्रभावित थे। धीरे-धीरे अनिरुद्धाचार्य जी महाराज ने धार्मिक गुरुओं और संतों के सान्निध्य में रहते हुए अपनी आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाया और एक प्रतिष्ठित कथावाचक के रूप में स्थापित हो गए।

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महाराज जी की दीक्षा

Aniruddhacharya ji
अनिरुद्धाचार्य जी महाराज

अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज का बचपन में आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। जिस कारण इनकी स्कूली शिक्षा पूरी न हो पाई। कैसे भी करके 5-6 कक्षा तक स्कूली शिक्षा लेने के बाद महाराज जी वृंदावन में चले आए। जहां इनको गुरु संत गिर्राज शास्त्री जी महाराज मिले और आगे की शिक्षा दीक्षा उन्हे इन्ही से प्राप्त हुई। वृंदावन की पवित्र भूमि पर उन्हें गुरु से दीक्षा प्राप्त करने का सौभाग्य मिला, जिसके बाद उन्होंने धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

दीक्षा के बाद अनिरुद्धाचार्य जी महाराज ने भगवद गीता, श्रीमद्भागवत और अन्य वेद-पुराणों का गहन अध्ययन किया और अपने गुरु के आशीर्वाद से कथा वाचन की कला में महारत हासिल की। उनके गुरु ने उन्हें भागवत कथा के महत्व और श्रीकृष्ण की लीलाओं के माध्यम से समाज को धर्म और नैतिकता का संदेश देने की प्रेरणा दी। गुरु की शिक्षाओं के अनुसार, अनिरुद्धाचार्य जी महाराज ने भागवत कथाओं का प्रचार-प्रसार शुरू किया और धीरे-धीरे वे एक प्रसिद्ध कथावाचक के रूप में उभरने लगे। उन्होंने अपने गुरु की शिक्षा का पालन करते हुए समाज में अध्यात्म और धर्म का प्रचार किया और लाखों लोगों को भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति से जोड़ा। उनके द्वारा दी गई दीक्षा और शिक्षा ने उन्हें एक महान आध्यात्मिक गुरु के रूप में स्थापित किया। आज वे देश-विदेश में अपने अनुयायियों के बीच अत्यंत श्रद्धा और सम्मान के पात्र हैं।  

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Last Update: 14 October 2024