जब श्री नारायण धरती पर कृष्ण अवतार के रूप में प्रकट हुए, तब उन्होंने कईं लीलाएं की | उन सभी लीलाओं से मनुष्यता को हमेशा से ही प्रेरणा मिलती रही है | उस समय सभी देवों का ध्यान भी पृथ्वी लोक पर ही केन्द्रित रहता था, ताकि वे कृष्ण रूप के दर्शन कर धन्य हो सकें | कईं बार तो देवतागण पृथ्वी लोक की लीलाओं पर इतने लालाहित हो जाते थे की स्वयम ही धरती पर प्रकट हो जाते थे | ऐसा ही एक किस्सा मिलता है जब स्वयम आदिदेव महादेव वृन्दावन प्रकट हुए |
दर्शन का समय
प्रात: – 05:00 AM – 12:00 Noon
सायं – 05:00 PM – 08:30 PM
गोपेश्वर महादेव इतिहास (Gopeshwar Mahadev History)
एक समय श्री कृष्ण ने चन्द्रसरोवर पर एक महारास करने का निर्णय लिया | भगवान भोलेनाथ को भी यह रास देखने का मन हुआ | तब महादेव श्री कृष्ण की रासलीला देखने वृंदावन आए | लेकिन राधा रानी की सखी ललिता और विशाखा ने भोलेनाथ को रोक दिया और कहा कि रासलीला में केवल गोपियां ही प्रवेश कर सकती हैं | भोलेनाथ जी यमुना मईया के पास पहुंचे | महादेव ने उनसे महा रासलीला देखने का अनुरोध किया | इस पर यमुना मैया ने उन्हें गोपी-रूप धारण कराया | यमुना जी के जिस तट पर भगवान भोलेनाथ ने गोपी-रूप धारण किया उस स्थान को गोपी घाट कहा जाता है | इस लीला में और भी कई अद्भुत बातें हैं |
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महादेव को महारस में जाता देख सर्पों ने महादेव के साथ चलने की विनती की | सर्प कहते हैं की हम आपके सर पर चुनरी पकड़ लेंगे, हमें भी श्री कृष्ण के दर्शन करा दो | तब सर्प महादेव की चुन्नी पकड़ते हैं और यह महारास में प्रवेश करते हैं | उस समय श्री कृष्ण अपनी बांसुरी बजा रहे थे | तभी वे एक डमरू की ध्वनि सुनते हैं | डमरू सुन कर श्री कृष्ण सोच में पढ़ते हैं की ऐसा कौन है जो मेरे साथ ताल मिला रहा है | श्री कृष्ण की बांसुरी के साथ ताल तो केवल महादेव मिला सकते हैं, वह ये जानते थे | तब महादेव को देख कर श्री कृष्ण उनका आलिंगन (गले मिलना) करते हैं | यह देख राधा जी अचम्भित हो जाती हैं की ऐसी कौनसी गोपी आ गयी के श्री कृष्ण उन्हें छोड़कर उसका नई गोपी का आलिंगन कर रहे हैं |
उसके बाद राधा जी रूठ कर उस स्थान से थोड़ी दूर चली जाती हैं और बहुत रोती है | रोते रोते वहां एक मानसरोवर बन जाता है | कहते हैं आज उस मान सोरोवर मीन भक्त अपने दुख दर्द मिटाने आते हैं | तब श्री कृष्ण और महादेव राधा जी को मनाने जाते हैं | तभी से वहां महादेव का गोपेश्वर शिवलिंग है |
यह महादेव के उन विशेष मन्दिरों में से एक हैं जिसमे माँ पार्वती शिव जी के साथ नहीं बल्कि उनसे दूर स्थापित हैं | क्योंकि महारास के समय माता पार्वती शिव जी को दूर से ही देख रही थी |
मन्दिर की विशेषता
यह मन्दिर पूरी दुनिया का इकलौता ऐसा मन्दिर है जहां महादेव का एक स्त्री की भांति 16 श्रृंगार किया जाता है | ऐसा इसलिए क्योंकि महारास के समय आदिदेव महादेव इसी रूप में प्रकट होकर रास में भाग लेने आये थे |