यूँ तो कुम्भ मेला हर 4 वर्ष में एक बार आता है और हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में से किसी एक जगह आयोजित किया जाता है | ज्योतिष शाश्त्र सभी ग्रहों की स्थिति जान कर यह बताता है की कब किस जगह कुम्भ मनाया जायेगा | ’

किन्तु क्या आप जानते हैं की कुम्भ मेले की शुरुआत कब हुई ? इसका इतिहास क्या है ? आखिर क्यों हर 4 वर्ष में सभी हिन्दू श्रद्धालु, साधू संत और पर्यटक एक साथ मिलते है और इस पर्व को मनाते हैं ? चलिए जानते हैं |

कुम्भ का इतिहास

samudra manthan
समुद्र मंथन

कुम्भ मेले का इतिहास सीधे तौर पर समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है | पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था | काफी समय तक चले इस मंथन से अनेक अद्भुत वस्तुएं प्राप्त हुईं थीं | इन्हीं में से एक था सबसे महत्वपूर्ण, अमृत कलश | इस अमृत कलश की सुरक्षा का जिम्मा बृहस्पति, सूर्य, चंद्र और शनि देवता को सौंपा गया |  मान्यता के अनुसार, चारों देवता असुरों से बचकर अमृत कलश को लेकर भाग गए | 12 साल तक असुरों ने उनका पीछा किया और देवताओं-दानवों के बीच युद्ध छिड़ गया |

इसी दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरीं | ये स्थान थे- हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक | जिन स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरी, वो स्थान पवित्र हो गए | इसीलिए मान्यता है की इन स्थानों पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं | इसीलिए इन चारों स्थानों पर हर 4 वर्ष के अंतराल में कुंभ का मेला लगता है |

चारों स्थानों में से प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में होने वाला कुम्भ सबसे पवित्र माना जाता है | कुम्भ का अर्थ होता है ‘कलश’, इसीलिए इस आयोजन को कुम्भ कहा जाता है |

पहली बार कुम्भ कब मनाया गया ?

Kumbh Mela old photo
1954 Kumbh Mela in Allahabad, UP | Source: Source: Life Archive hosted by Google

एतिहासिक प्रमाण के अनुसार कुंभ मेले का इतिहास लगभग 850 साल पुराना बताया जाता है | कुछ तथ्य 525 बीसी से भी इसकी शुरुआत का समय बताते हैं | सम्राट शिलादित्य हर्षवर्धन 617-647 के समय कुछ प्रमाणिक तथ्य प्राप्त होते हैं और बाद में श्रीमद आघ जगतगुरु शंकराचार्य और उनके शिष्य सुरेश्वराचार्य ने दसनामी संन्यासी अखाड़ों के लिए संगम तट पर स्नान की व्यवस्था की पुष्टि होती है | आज भी यह स्थान शाही स्नान के नाम से जाना जाता है जो बड़े हर्षोल्लास के साथ किया जाता है |

कुम्भ का वर्णन

  • 7वीं शताब्दी में ह्वेनसांग ने हिंदू प्रथाओं के उल्लेख में प्रयाग में होने वाले कुंभ के बारे में भी बताया गया था.
  • विश्वप्रसिद्ध Apple कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स का एक ख़त मिला, जिसमे वे भारत आकर कुम्भ मेले को अपनी आँखों से देखने की इच्छा व्यक्त करते हैं |
  • स्टीव जॉब्स की पत्नी भी महाकुम्भ 2025 में प्रयाग में आई हैं और यहाँ आकर अपने गुरु से दीक्षा भी प्राप्त की |

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Last Update: 17 January 2025