सभी कृष्ण भक्त भगवान के जन्म से सम्बन्धित बहुत जानकारी रखते है | सभी को पता है की मथुरा के राजा कंस के किले से थोड़ी दूर एक काल कोठरी में जन्में थे | जन्म के तुरंत बाद उनके पिता उन्हें वृन्दावन ले आये जहां उनका बचपन बीता | किंतु कितने भक्त जानते हैं की श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई थी ? गुजरात के सोमनाथ में स्थित, भालका तीर्थ ही वह स्थान है जहां श्री कृष्ण ने अपना देह त्यागा था और इस नश्वर संसार से प्रस्थान किया |
दर्शन का समय – 6:00 AM – 9:00 PM
श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई ? – How Shree Krishna Died?
जब द्वारका नगरी के अंत का आरम्भ हो चूका था | सभी यदुवंशी एक दुसरे से ही लड़ने लगे और अपने ही परिजनों को मारने लगे | यह दृश्य श्री कृष्ण नही देख पाए और दुखी हो कर वन एक स्थान पर एकांत में बैठ गये | तब एक भील ने गलती से कृष्ण के पैर को हिरण समझ कर उसपर तीर चला दिया | जिसके पश्चात वह तीर कृष्ण के बाएं पेर में जा लगता है | वह भील को जब पता चलता है की उसका तीर स्वयं श्री कृष्ण को जा लगा है, तो वह बहुत दुखी हुआ अपने पश्चाताप के लिए श्री कृष्ण से विनती करने लगा | किंतु कृष्ण उसे बताते है की यह तीर पहले से ही नियति में लिखा चूका था |
कृष्ण उस भील को उसके पिछले जन्म की वास्तविकता से अवगत कराते है | उसे समझाते हुए श्री कृष्ण कहते हैं की सतयुग में, जब मैं राम अवतार में धरती पर धर्म की स्थापना कर रहा था | तभ मैंने बालि नामक वानरराज को छल से पेड़ के पीछे चिप कर मारा था | तुम पिछले जन्म में वही वानर राज बाली थे |
मान्यता है की मृत्यु के समय भगवान श्री कृष्ण की आयु 125 वर्ष थी | जिस वृक्ष के निचे श्री कृष्ण को तीर लगा था, वह वृक्ष पिछले 5000 सालों से आज भी हरा भरा है | जब भी यह पेड़ सूखता है तभी इसकी जड़ों से एक नया पेड़ उग जाता है | और ऐसे ही उस पेड़ की वंशावली तभी से चलती आ रही है |
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भालका तीर्थ मंदिर – Bhalka Tirth Temple
भालका तीर्थ वही स्थान है जहां भगवान श्री कृष्ण ने अपना पार्थिव शरीर त्यागा था | यह स्थान वैष्णव सम्प्रदाय में ऐतिहासिक महत्व रखता है। भक्त भगवान कृष्ण को श्रद्धांजलि देने और उनके प्रस्थान की महत्वपूर्ण घटना को मनाने के लिए भालका तीर्थ जाते हैं। भालका तीर्थ के मंदिर परिसर में भगवान कृष्ण और उनके जीवन और शिक्षाओं से जुड़े अन्य देवताओं को समर्पित मंदिर शामिल हैं। शिकारी के तीर से घायल होने के बाद, भगवान कृष्ण ने अपना पार्थिव शरीर छोड़ दिया और अपने दिव्य निवास पर लौट आए, जो पृथ्वी पर उनके अवतार के अंत का प्रतीक था।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की भालका तीर्थ सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से केवल 5 KM की दुरी पर ही स्थित है | अगर आप सोमनाथ महादेव के दर्शन करने आते हैं, तो भालका तीर्थ जाना न भूलें |