महर्षि कश्यप और उनकी कईं पत्नियों में से एक कडरू की 1000 संतान थी | यह सभी संतानें मनुष्य नहीं, बल्कि इच्छाधारी नाग थी | महर्षि कश्यप की संतानों में सांप, बिछु और मनुष्य भी शामिल है किंतु वे सभी महर्षि कश्यप की दूसरी पत्नियों से हैं | देवी कुद्रू के साथ इन 1000 संतानों में से तकरीबन 12 नाग बहुत प्रबल और शक्तिशाली थे | जैसे की शेषनाग, वासु, पिंगला, कंगाल और कालिया नाग | कालिया वही नाग हैं जिन पर श्री कृष्ण ने नृत्य किया था और उनका घमंड तोडा था | तो आईये जानते हैं श्री कृष्ण कालिया नाग मर्दन लीला |
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श्री कृष्ण कालिया नाग मर्दन लीला – Kaliya Naag Mardan Leela
एक बार श्री कृष्णा अपने सखाओं के साथ यमुना के तट पर खेल रहे थे | खेलते खेलते उनकी गेंद यमुना नदी में चली जाती है | नदी के पास जाकर श्री कृष्ण देखते हैं की उस नदी आस पास पेड़, जीव और जन्तु मर रहे हैं | नदी का पानी पी कर एक गौ माता की भी मृत्यु हो जाती है | यह देख वे समझ जाते हैं की यह कालिया नाग के कारण हुआ है | क्रोधित हो कर श्री कृष्ण नदी में कूद जाते हैं और तब दोनों में भयंकर युद्ध होता है | कालिया नाग कृष्ण को अपनी कुंडली में जकड़ कर उनमे अपना विष डालने की कोशिश करता है | कृष्ण अपना विरत रूप की मदद से कुंडली से बाहर आ जाते हैं | युद्ध के दौरान कालिया की थूथन से भी खून आने लगता है | भयंकर युद्ध को देख कालिया नाग की पत्नियाँ भी वहां आ जाती हैं, और श्री कृष्ण से उन्हें छोड़ने की विनती करती हैं | तब श्री कृष्ण उसे छोड़ देते हैं और कहते हैं की तुम वृन्दावन छोड़ कर चले जाओ | तो ऐसे करते है श्री कृष्णा कालिया नाग मर्दन |
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यमुना नदी में क्यों आया था कालिया नाग ?
दोस्तों वैसे तो कालिया नाग पहले रमणक नामक द्वीप पर वास करता था | आज मन जाता है की यह रमणक द्वीप न्यू ज़ीलैण्ड के एक द्वीप फिजी में है | एक बार कालिया नाग पक्षी राज गरुड़ को भोजन खा जाता है | यह देख गरुड बहुत क्रोधित होते हैं और दोनों में युद्ध की शुरुआत हो गयी | गरुड़ से बचने के लिए कलिया नाग यमुना पहुचे जहां उसका श्री कृष्ण से भी युद्ध हुआ | क्योंकि पहले ब्रह्मा की ऋषि संतानों में से एक शोम्भ्री ऋषि ने पक्षी राज गरुड़ को श्राप दिया था की वे उस क्षेत्र में कभी शिकार नही कर पाएंगे | शोम्भ्री ऋषि ने उन्हें श्राप इसीलिए दिया था क्योंकि एक बार ऋषि नदी में मछलियों को आते की गोलियां बनाकर खिला रहे थे | तभी गरुड़ वहां आ कर उन मछलियों को खा जाते थे | तभी से वहां पर गौड़ शिकार करने में असमर्थ हो गये |
मुगलों और अंग्रेजों ने की नाग को तोड़ेंने की कोशीश
माना जाता है की कालिया नाग बहुत ही विषैले थे | मान्यता के अनुसार वे नागो के राजा थे और सबसे शक्तिशाली थे | कलिया नाग पन्नक जाति के नाग के थे | जिसको कुछ लोग पन्ना, पन्न या प्नंक भी कहते हैं | जब अंग्रेजों को पता लगा की यहां पर एक नाग है जो पन्ना जाति का है, तो उन्हें लगा की इसके नीचे पन्ना होगा | वे इसे तोड़ने की कोशिश करते हैं | अँग्रेज़ नाग पर गोलियां भी चलाते हैं ताकि यह असानी से टूट जाये | किंतु वे इसे पूरी तरह से तोड़ने में नाकाम हुए | उससे पहले मुगल आक्रान्ताओं ने इस जगह का विनाश करने की कोशीश भी की थी जिससे यहाँ काफी नुक्सान पहले ही हो चूका था |
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आज भी जीवित है कालिया नाग – Kaliya Naag Still Alive
एक प्रचलित मान्यता के अनुसार, कालिया नाग श्री कृष्णा के वैकुण्ठ पधारने के पश्चात ही धरती लोक से पातळ लोक चले गये | किंतु श्री कृष्ण की कालिया नाग मर्दन के पदचिन्ह वाली प्रतिमा लीला के प्रमाण के तौर पर यहीं छोड़ गये |
Jo ye kaliya nag ki partima h to ye kaliya nag hi h ya fir bs is partima ko bnya gya humne suna tha ki kaliya nag ko shrap mila tha ki vo virndavan chhod kr chla jaye agr usne piche mudkr dekha to vo pathar ka ban jayega to btao aap
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