वृंदावन के प्रसिद्ध संत और हिंदू धर्म गुरु प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj), अपने भक्तों के बीच गहरे आध्यात्मिक प्रभाव और प्रेम की भक्ति के लिए जाने जाते हैं। उनकी शिक्षाएँ और जीवनशैली भगवान श्रीकृष्ण की लीला, प्रेम और करुणा पर आधारित हैं। उनके प्रवचन और भक्ति गीत श्रद्धालुओं के दिलों में गहरी छाप छोड़ते हैं। जो पिछले 18 सालों से अपनी दोनों किडनियां खराब हो जाने के बावजूद जीवित हैं। तो आइए इस अद्भुत संत के बारे में कुछ रोचक बातें जानते हैं। जिनके दरबार में कई प्रसिद्ध हस्तियाँ हाजिरी लगा चुकी हैं।

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प्रारंभिक जीवन और साधना यात्रा

Premanand Ji Maharaj old photo

प्रेमानंद जी महाराज का जन्म कानपुर के एक धार्मिक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जहाँ धार्मिक संस्कार और भक्ति का वातावरण उन्हें बचपन से ही मिला। प्रेमानंद महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय है। बाल्यकाल से ही उनका झुकाव आध्यात्मिकता और धार्मिक साहित्य की ओर रहा। उन्होंने बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण के प्रति गहरी आस्था रखी और जीवन को भक्ति मार्ग में समर्पित कर दिया। 13 साल की उम्र में उन्‍होंने संन्‍यासी बनने का निर्णय लिया और घर छोड़ दिया। जिसके बाद वे सबसे पहले वाराणसी पहुंचे और वाराणसी से वृंदावन आए।

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) युवावस्था में ही वे वृंदावन आ गए थे, जो भगवान श्रीकृष्ण की लीला भूमि मानी जाती है। यहाँ आने के बाद उन्होंने कई वर्षों तक गहन साधना की और भक्ति के मार्ग पर अग्रसर होते गए। उनके गुरु ने उन्हें भक्ति की शक्ति और प्रेम की महिमा का ज्ञान कराया, जिसके बाद प्रेमानंद जी ने अपने जीवन को समाज और मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया।

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वृंदावन में धर्म का प्रसार

Premanand Ji Maharaj

प्रेमानंद जी महाराज ने वृंदावन में अपने धर्म और भक्ति के माध्यम से अनेकों लोगों को भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और उनके प्रेम के महत्व को समझाया। वे कहते थे कि भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति ही मानवता की शुद्धि का मार्ग है। उन्होंने अपने प्रवचनों के माध्यम से लाखों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा दी है, जिसमें अनेकों प्रसिद्ध हस्तियाँ भी शामिल हैं।

उनके आश्रम में प्रतिदिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जहाँ वे प्रेम और भक्ति के संदेश को सरल भाषा में समझाते हैं। प्रेमानंद जी का मानना है कि जीवन में शांति और संतुष्टि केवल भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और प्रेम से ही मिल सकती है। उनके आश्रम में भक्ति गीतों, कीर्तन और सत्संग का आयोजन होता है, जो भक्तों के मन को शांति और सुकून प्रदान करता है।

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महाराज जी की शिक्षाएँ

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) की मुख्य शिक्षाएँ प्रेम, भक्ति और करुणा पर आधारित हैं। उनका मानना है कि सच्चा भक्त वही है जो अपने जीवन में भगवान को सर्वोपरि रखता है और सभी जीवों के प्रति प्रेमभाव रखता है। वे कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने हमें प्रेम की शिक्षा दी है और उसी प्रेम को अपने जीवन में अपनाने से हम भगवान के सच्चे भक्त बन सकते हैं।

उनकी शिक्षाएँ केवल धार्मिक क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों पर भी आधारित हैं। प्रेमानंद जी महाराज लोगों को सदैव सत्य, अहिंसा, और दूसरों की सेवा करने की प्रेरणा देते हैं। उनके अनुसार, सच्चा धर्म वही है जो प्रेम, करुणा और सेवा के सिद्धांतों पर आधारित हो।

समाज में योगदान और जनसेवा

Premanand Ji Maharaj

प्रेमानंद जी महाराज केवल आध्यात्मिक गुरु ही नहीं हैं, बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में भी उनका उल्लेखनीय योगदान है। उन्होंने अनेक धार्मिक और सामाजिक संस्थानों की स्थापना की है, जहाँ गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता की जाती है। वृंदावन में उनके द्वारा चलाए जा रहे अनाथालय और वृद्धाश्रम समाज सेवा के अद्वितीय उदाहरण हैं।उनके द्वारा चलाए गए विभिन्न कार्यक्रम जैसे अन्नदान, वस्त्रदान और चिकित्सा शिविर, समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित हैं। महाराज जी का कहना है कि सच्ची भक्ति तभी पूर्ण होती है जब हम अपने जीवन को दूसरों की सेवा में लगाते हैं। उनके जीवन और शिक्षाओं ने अनेकों लोगों को समाजसेवा की प्रेरणा दी है।

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) का जीवन प्रेम, भक्ति, और सेवा का प्रतीक है। वे न केवल एक आध्यात्मिक गुरु हैं, बल्कि समाज के प्रति उनकी सेवाएँ भी अद्वितीय हैं। उनके उपदेश और शिक्षाएँ लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती हैं और उन्हें भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करती हैं। उनके योगदान ने न केवल वृंदावन में बल्कि संपूर्ण देश में भक्ति और सेवा के प्रति लोगों को प्रेरित किया है।कई भक्‍त प्रेमानंद महाराज को अपनी किडनी डोनेट करना चाहते हैं,पर उन्‍होंने मना कर दिया है। इस हालत में भी वह हर रोज भक्‍तों को प्रवचन देते हैं। वह रोज सुबह तीन बजे दो किलोमीटर की पदयात्रा निकालते हैं। 

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Last Update: 28 October 2024