वृंदावन के आँगन में कमल पुष्प समान खिला और अपनी भव्य संरचना से भक्तों को भाव विभोर करने वाला श्री प्रियकांत जू मंदिर। श्री कृष्ण और राधारानी के प्रेम को दर्शाता एक मात्र ऐसा मंदिर, जो देश और दुनिया के सभी राधा-कृष्ण मंदिरों से भिन्न है। यह मंदिर माता वैष्णो देवी मंदिर से केवल 800 मीटर आगे स्थित है | जिसका नाम भले हीं राधा-कृष्ण मंदिर नहीं है, लेकिन श्री प्रियकांत नाम अपने आप में भगवान श्री कृष्ण और राधरानी का संदर्भ देता है। जहां ‘प्रिया’ का अर्थ राधारानी और ‘कांत’ का अर्थ श्री कृष्ण है। तो आइए राधा-कृष्ण के प्रेम के सागर में डूबे, इस मनोहर श्री प्रियकांत जू मंदिर की गहराई में गोते लगाते हैं।

मेरो वृन्दावन एंट्री पॉइंट से दुरी – 1.5 km

दर्शन का समय

प्रात: – 8:30 AM – 12:00 Noon
सायं – 4:00 PM – 9:00 PM

मंदिर की बनावट एवं निर्माणशैली

प्रियकांत जू मंदिर - priyakant ju temple
प्रियकांत जू मंदिर – priyakant ju temple

श्री प्रियकांत जू मंदिर की बनावट इसके नाम की भांति मनोहर है। जिसकी ऊंचाई लगभग 125 फिट है। जिसका निर्माण कमल के फूल के समान किया गया है। जो दूर से देखने पर किसी कमल पुष्प की भांति खिला हुआ नजर आता है। मंदिर का निर्माण सड़क किनारे ऊंचाई पर किया गया है। जिसके दोनों ओर फव्वारों वाले दो जल कुंड भी मौजूद हैं। इस मंदिर के बनावट से जुड़ी सबसे रोचक बात ये है कि, इसका निर्माण राजस्थान के प्रसिद्ध मकराना मार्वल से किया गया है। जिसकी स्थापत्य कला प्राचीन भारतीय कला और वास्तुकला में एक नवीनीकरण को दर्शाती है।

मंदिर के विग्रहों (प्रतिमा) का वर्णन

प्रियकांत जू मंदिर - priyakant ju temple
प्रियकांत जू मंदिर – priyakant ju temple

श्री प्रियकांत जू मंदिर में राधारानी ‘प्रिया’ और भगवान श्री कृष्ण ‘कांत’ स्वरूप में विराजमान हैं। जहां सफेद संगमरमर से बनी इन दोनों की मनोहर प्रतिमाएं काफी महमोहक नजर आती हैं। जहां ब्रज वेशभूषा में मंद-मंद मुसकाती राधा-कृष्ण की प्रतिमा देखते ही बनती है। जिसमें भगवान श्री कृष्ण को बांसुरी बजाते और राधारानी को पुष्पों के साथ दर्शाया गया है। जहां श्री कृष्ण के सिर पर एक मनमोहक मुकुट है। तो वहीं राधा रानी अपने पारंपरिक वेश में मौजूद हैं। जिनका जन्माष्टमी जैसे कुछ विशेष अवसरों पर शृंगार भी किया जाता है। इसके साथ ही श्री प्रियकांत जू मंदिर के चारों कोनो पर भगवान श्री गणेश,महावीर बजरंगबली और भगवान शिव के छोटे-छोटे अन्य मंदिर भी बनाए गए हैं।

मंदिर किसने बनाया

देवकी नन्दन ठाकुर जी | Devkinandan Thakur Ji
देवकी नन्दन ठाकुर जी | Devkinandan Thakur Ji

श्री प्रियाकान्त जू मंदिर बनाने का संकल्प विश्व शांति चैरिटेबल ट्रस्ट ने 2007 में लिया था। जिसकी स्थापना श्री देवकी नन्दन ठाकुर जी महाराज द्वारा 2009 में की गई थी। जिसको बनाने में लगभग 7 वर्ष का समय लगा। वहीं इसके प्रथम चरण की शुरुआत 2012 में की गई थी। जिसे श्रदालुओं के लिए 8 फरवरी 2016 में खोला गया। श्री प्रियाकान्त जू मंदिर का उद्घाटन, श्री कप्तान सिंह सोंलकी जी के द्वारा किया गया था। जिसके उद्घाटन में लाखों की संख्या में श्रदालुओं ने भाग लिया था।

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Last Update: 12 July 2024