वृन्दावन में अनेक अद्भुत मन्दिरों में से एक है राधा दामोदर मन्दिर | सभी श्रद्धालु बांके बिहारी जी के दर्शन करने पश्चात इस मन्दिर में अवश्य ही आते है | वैष्णव समाज मे इस मंदिर का बहुत अधिक म्हत्व्व है |
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दर्शन का समय
Morning Timing | 04:30 AM – 1:00 PM |
Evening Timing | 04:30 PM – 09:00 PM |
राधा दामोदर मन्दिर का महत्व
इस मंदिर में श्रीकृष्ण जी को राधा जी के साथ, दामोदर रूप में पूजा जाता है | यह वृंदावन के प्रमुख सात गोस्वामी मंदिरों में से एक है | इस मन्दिर में एक शिला है जो की स्वयं ही श्री कृष्ण के पदचिन्ह है | साथ ही यहाँ श्री कृष्ण की बंसी और गाय के निशान भी उपस्थित हैं | गौ माता जी के प्रचलित मान्यताओं के अनुसार राधा दामोदर मंदिर की चार परिक्रमा गोवर्धन पर्वत की एक परिक्रमा के बराबर होती है | गोवर्धन की 25 किलोमीटर की परिक्रमा है | लेकिन राधा दामोदर मन्दिर एक परिक्रमा ही आपको गोवर्धन की सप्तशती परिक्रमा के बराबर फल देगी |
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इतिहास – Radha Damodar History
बताया जाता है, की सनातन गोस्वामी नित्य गिरिराज जी की परिक्रमा करते थे | वृद्धावस्था में उनकी असमर्थता को देखकर भगवान ने बालक रूप में प्रकट होकर उन्हें डेढ़ हाथ लंबी वातपत्रकार श्याम रंग की गिरिराज शिला दी | उसी पर भगवान के चरण चिन्ह के साथ ही गाए के खुर के भी चिन्ह है | भगवान ने गोस्वामी जी को आदेश दिया की अब वो वृद्धावस्था में गिरिराज पर्वत की बजाए इस शीला की परिक्रमा कर लिया करें | उनके शरीर त्यागने के बाद शीला इसी मंदिर में स्थापित कर दी गई और तब से श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर की प्रतिमाएं लगाए जाने की परंपरा चल पड़ी | और इसके पश्चात राधा दामोदर मंदिर वृन्दावन के कुछ प्रमुख मंदिरों में से एक बना हुआ है |
औरंगज़ेब के कारण जयपुर स्थानान्तरण
इस मंदिर की स्थापना सबसे पहले जीव गोस्वामी जी ने 1542 में की थी | यह वृंदावन की सेवा कुंज में स्थित था | सन 1670 में जब मुस्लिम सम्राट औरंगज़ेब ने वृंदावन पर आक्रमण किया, तो मूल देवताओं राधा दामोदर जी को कुछ समय के लिए जयपुर स्थानांतरित कर दिया गया | जब सामाजिक परिस्थितियों अनुकूल हो गई तो देवताओं को वर्ष 1739 में वापस वृंदावन लाया गया |