राधावल्लभ मंदिर भगवान कृष्ण और उनकी दिव्य पत्नी राधा को समर्पित है। यह वृन्दावन के प्रमुख मंदिरों में से एक है जो राधा और कृष्ण के बीच शाश्वत प्रेम और भक्ति को दर्शाता है |

Shree Radha Vallabh Mandir Darshan Timings

Morning Timings09:00 AM – 12:00 Noon
Evening Timings05:00 PM – 09:00 PM
Shree Radha Vallabh Mandir Darshan Timings

मेरो वृन्दावन एंट्री पॉइंट से दुरी – 7.5 KM

श्री राधा वल्लभ इतिहास (Radha Vallabh Ji History) 

Shri Radhavallabh Lal Ji Mandir

काफी समय पहले आत्मदेव नाम के एक ब्राह्मण, शिवजी के बड़े भक्त हुआ करते थे | एक बार उन्होंने कैलाश जाकर लंबे समय तक शिव जी की पूजा उपासना की | उनकी तपस्या से खुश होकर शिवजी ने उन्हें कोई वरदान मांगने को कहा, जिस पर भक्त ने स्पष्ट कहा कि मुझे तो सिर्फ आप के दर्शन मात्र की अभिलाषा थी | जो अब पूर्ण हुई, फिर भी शिवजी ने उसे वरदान मांगने को कहा | जिस पर आत्मदेव ने कहा कि आपको जो वस्तु सबसे प्रिय हो वह आप उन्हें दें |

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Hindu Temple for Home

इस पर शिवजी ने अपने हृदय से श्री राधावल्लभ के को प्रकट किया | इस प्रकार शिवजी द्वारा आत्मदेव को श्री राधावल्लभ को दिया गया | शिवजी ने साथ ही श्री राधावल्लभ की उपासना विधि और मंत्र आदि बताएं | आज भी उसी विधि से राधा कृष्ण के इस युगल रूप की पूजा होती है | आप देव विग्रह को अपने साथ चिर्थावल गांव ले आए | जहां वह रहा करते थे | एक समय तक उन्होंने श्री राधावल्लभ की पूजा उपासना की बाद में, उन्होंने विचार किया कि जो व्यक्ति मेरी दोनों बेटी से विवाह करेगा उसे ही मैं या विग्रह दूंगा | 

Harivansh Chandra Mahaprabhu Ji.
Harivansh Chandra Mahaprabhu Ji

तभी श्री हरिवंश जी जो 31 वर्ष तक देववन में रहे, और उसके बाद 32 वर्ष की आयु में वृंदावन की ओर उन्होंने प्रस्थान किया बीच में विश्राम हेतु वह इसी चरथावल गांव में रुके | रात को स्वयं राधा जी उनके सपने में आई और विशेष आदेश दिया साथ ही कहा कि इसी गांव में हमारा विग्रह है | तो उसे भी अपने साथ ले जाकर वृंदावन में स्थापित करें | इस आदेश पर श्री हरिवंश ने आत्मदेव की दोनों बेटियों से विवाह किया और उनसे श्री राधावल्लभ के को प्राप्त किया |

राधा जी के आदेश अनुसार वह विग्रह को वृंदावन ले आए ऐसा कहा गया कि जब अपने परिवार सहित वृंदावन आए थे, तब वृंदावन जंगल के समान दिखता था तो एक ऊंचे स्थान पर उन्होंने राधावल्लभ विग्रह को स्थापित कर दिया और लताओं से राधावल्लभ जी के लिए एक मंदिर सा बनवाया मंदिर के आचार्य बताते हैं कि श्री हरिवंश में राधावल्लभ को इसी प्रकार रखा और उनके लिए कभी कोई मंदिर नहीं बनवाया मंदिर तो उनके बड़े पुत्र वनचंद्र महाप्रभु के समय पर बना था | 

 मन्दिर के लिए अकबर ने दी ज़मीन

श्री राधा वल्लभ जी मंदिर |  Radha Vallabh Ji Mandir
श्री राधा वल्लभ जी मंदिर | Radha Vallabh Ji Mandir

जानकारी के मुताबिक मंदिर निर्माण का काम 1585 में अकबर बादशाह के खजांची सुंदरदास भटनागर ने करवाया था | अकबर ने वृंदावन के साथ प्राचीन मंदिरों को उनके महत्व के अनुसार, 180 बीघा जमीन दी थी, जिसमें से 120 बीघा जमीन सिर्फ राधावल्लभ मंदिर को मिली | मुगलों द्वारा आक्रमण के समय उस विग्रहों को रात और रात राजस्थान के भरतपुर जिले के कामवन में ले जाकर स्थापित कर दिया गया था | जहां वह 123 वर्ष रहे | फिर मुगल काल समाप्त होने के बाद राधावल्लभ वृंदावन लौट आए | आक्रमण में मंदिर को भी काफी नुकसान हुआ था तो श्री राधावल्लभ को एक नए मंदिर में स्थापित किया गया, जहां उनकी युगल रूप के दर्शन कर सकते हैं |

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श्री राधावल्लभ मन्दिर वास्तुकला 

श्री राधा वल्लभ जी मंदिर | Radha Vallabh Ji Mandir
श्री राधा वल्लभ जी मंदिर | Radha Vallabh Ji Mandir

राधावल्लभ मंदिर पारंपरिक उत्तर भारतीय मंदिर वास्तुकला को प्रदर्शित करता है, जो जटिल नक्काशी, अलंकृत सजावट और जीवंत रंगों की विशेषता है। मंदिर परिसर में एक केंद्रीय गर्भगृह शामिल है, जहां राधा और कृष्ण की मूर्तियां स्थापित हैं | वहां उनकी दिव्य लीलाओं से जुड़े देवताओं को समर्पित अन्य मंदिरों से घिरा हुआ है।

श्री राधावल्लभ मन्दिर  के त्यौहार

मंदिर विभिन्न त्यौहारों को बड़े उत्साह के साथ मनाता है | जिनमें जन्माष्टमी (भगवान कृष्ण का जन्मदिवस), राधाष्टमी (राधा जी का प्रकट दिन), होली (रंगों का त्यौहार), और अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं जो भक्ति को उजागर करते हैं। 

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Last Update: 22 October 2024