बरसाने के कण कण में राधा का वास है | विश्व प्रसिद्ध बरसाने की होली देखने लोग दूर दूर से आते हैं | किंतु काफी लोग बरसने में एक प्राचीन मन्दिर में राधा रानी के दर्शन को आते हैं जिससे जुडी है श्री कृष्ण और राधा रानी की एक भुत सुंदर लीला |

माना जाता है की इस ब्रह्मांचल पर्वत पर आज भी वह गुफा मौजूद है जहां पर राधा जी श्री कृष्ण से रूठ कर चिप गयीं थीं | लोग कहते हैं की आज भी उस गुफा की एक शिला पर राधा जी के हाथ और पैरों के निशान हैं |

Maan Mandir Darshan Timing

Morning Time07:00 AM – 12:00 Noon
Evening Time04:00 PM – 09:00 PM

मान मंदिर(Maan Mandir) Location

बरसाना में ब्रह्मगिरि पर्वत की चोटी पर स्थित उनका स्थान श्री राधारानी की मान लीला का प्रतीक है।

मान मंदिर बरसाने का इतिहास 

Radha Krishna
Source: godly_soul__

वृन्दावन में एक समय राधा जी 16 श्रृंगार करती हैं और कृष्ण से पूछती हैं की बताओ कान्हा आज मैं कैसी लग रही हूँ | श्री कृष्ण राधा जी की सुन्दरता का वर्णन करते हैं की आज तुम बिलकुल चाँद जैसी सुंदर लग रही हो | राधा जी ने सोचा की चाँद पर तो दाग होते हैं | तब राधा जी बुरा मान कर यहाँ विराजमान हो गयी | यह देख श्री कृष्ण राधा रानी की सखियों से निवेदन करते हैं की मझे राधा से मिलवा दीजिये | सखियाँ श्री कृष्ण की बात मन लेती हैं पर साथ कहती हैं अगर तुम लहंगा चोली फन कर आओगे तभी हम तुम्हे राधा से मिलवायेंगे | राधा से मिलने को मजबूर श्री कृष्ण ऐसा करने को मान जाते हैं |

तब सखियों ने राधा रानी से कहा की, किशोरी जी हमारी सखी में एक नई सखी आई है | तो राधा रानी बोली ऐसी कौन सी सखी है इससे मैं नही मिली | चलो मझे भी मिलाओ | राधा जी जा कर देखतीं हैं की ये तो कोई सखी नही बल्कि कृष्ण हैं | उन्हें देख राधा जी और क्रोधित हो जाती हैं | तब कृष्ण हार मान कर अपने घर की तरफ चल देते हैं | रस्ते में एक सखी उन्हें बताती हैं की राधा जी को मोर बहुत पसंद हैं | तो कान्हा जी सोचते हैं की राधा जी से मोर बनकर मिलेंगे |

Shri Maan Mandir Barsana
Shri Maan Mandir Barsana

तब किशोरी जी को मनाने के लिए कान्हा जी सामने ही स्थित मोर कुटी में मोर बन कर जाते हैं औ जोर जोर से श्री राधे श्री राधे नाम चिल्लाते हैं | तब किशोरी जी ये देखने जाती हैं की एक बहुत सुंदर मोर उनका नाम ले रहा था | कृष्ण जी राधा रानी को रिझाते हैं और नृत्य करते हैं | तब जवाब में राधा जी मयूर नृत्य करने लगीं | मयूर नृत्य ताल पर आधारित होता है | नृत्य करते समय कान्हा जी एक ताल पकड़ने में असमर्थ हो जाते हैं | तब एक मोर पंख कृष्ण के मस्तक से गिरता है | 

हारने के बाद कृष्ण राधा जी से बोलते हैं की आपने भुत सुंदर मयूर नृत्य किया है, हम आपके जैसे नृत्य कब कर पाएंगे? यह सुन राधा जी कर मान टूट जाता है और उनकी उदसी दूर हो जाती है |

रमेश बाबा के लिए भी प्रसिद्द है बरसाने का मान मंदिर 

बरसाने में ठीक इसी जगह प्रसिद्ध रमेश बाबा ने इसी गुफा में बैठकर करीब तीस सालों तक राधारानी की आराधना की थी। रमेश बाबा कहते हैं की उन्हें आज भी माता की आराधना करते हुए किसी घुंघरू व किसी बालिका के पुकारने की अनुभूति उन्हें होती है। श्री माता जी गौशाला भी इसी जगह पर स्थित है जिसे लोग पुरे भारतवर्ष में जानते हैं | इस गौशाला में रमेश बाबा की निगरानी में 55000 गायों की देखभाल होती है |

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Last Update: 7 May 2024