भगवान श्री कृष्ण जिन्होंने अपने जीवन काल में ना जाने कितने दुष्ट राक्षसों का वध किया और पापी राजाओं से धरती को मुक्ति दिलाई। लेकिन क्या आप जानते हैं महाभारत काल में जरासंध नाम का एक ऐसा राक्षसी शक्तियों वाला राजा भी था जिसने बार-बार श्री कृष्ण को परेशान किया, जिसकी वजह से भगवान को ना चाहते हुए भी मथुरा का त्याग करना पड़ा और दूर समुन्द्र किनारे द्वारका नगरी बसानी पड़ी। मथुरा त्याग कर द्वारका पलायन करने के कारण ही उन्हें रणछोड़ नाम मिला |

तो आखिर कौन था जरासंध? श्री कृष्ण से उसकी क्या शत्रुता थी? और आखिर जरासंध का अंत कैसे हुआ? आइए जानते हैं। 

जरासंध कौन था? – Who was Jarasandha (Birth Story)?

Jarasandha Birth

जरासंध महाभारत काल का एक प्रमुख पात्र था। जो मगध राज्य का शक्तिशाली राजा था। उसके पिता का नाम बृहद्रथ था, जो मगध के प्रतिष्ठित शासक थे। जरासंध के जन्म की कहानी भी बहुत दिलचस्प है। कहते हैं जरासंध के पिता बृहद्रथ की दो रानियां थीं, लेकिन वे दोनों गर्भधारण नहीं कर पा रही थीं। जिसके बाद एक संत ने राजा को संतान प्राप्ति के लिए एक फल दिया था, जिसे राजा ने अपनी दोनों रानियों को खिला दिया। जिससे दुर्भाग्यवश वह बच्चा दोनों रानियों के गर्भ से दो अलग-अलग हिस्सों में जन्मा। यह देख राजा और दोनों रानियों को इस घटना से गहरा दुःख हुआ। जिसके बाद उन्होंने उस बच्चे के दोनों हिस्सों को जंगल में फेंक दिया। जहां जरा नामक एक राक्षसी ने उन दोनों हिस्सों को जोड़कर बच्चे को जीवित कर दिया। उसी राक्षसी के नाम पर उस बच्चे का नाम ‘जरासंध’ रखा गया।

जरासंध अपने समय का एक अत्यंत शक्तिशाली और क्रूर राजा था। उसने कई राजाओं को पराजित करके अपनी सत्ता को बढ़ाया और उन्हें अपने अधीन कर लिया। उसकी सेना और शक्ति इतनी विशाल थी कि उसे हराना बेहद कठिन था। वह अपने युद्ध कौशल और वीरता के लिए प्रसिद्ध था। उसके अधीन कई छोटे-बड़े राज्य आते थे, जिनके राजा उसकी शक्ति से भयभीत थे।

जरासंध की श्री कृष्ण से शत्रुता – Why Jarasandha & Krishna were enemies?

Jarasandha & Shree Krishna
जरासंध और श्री कृष्ण

जरासंध और श्री कृष्ण के बीच शत्रुता का मूल कारण कंस का वध था। मथुरा का राजा कंस, जरासंध का दामाद था। जो जरासंध की दोनों बेटियों अस्ति और प्रस्ति का पति था। श्री कृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध करके मथुरा को उसके आतंक से मुक्त किया था। लेकिन अपने दामाद की मौत से जरासंध, श्री कृष्ण के प्रति प्रतिशोध की ज्वाला में जलने लगा। कंस की मृत्य को जरासंध ने अपनी प्रतिष्ठा और शक्ति के खिलाफ एक चुनौती के रूप में देखा। यही करण है कि, जरासंध ने कई बार मथुरा पर हमला किया और श्री कृष्ण को हराने का प्रयास किया।

उसने 17 बार मथुरा पर चढ़ाई की, लेकिन हर बार श्री कृष्ण ने उसकी सेना को हराकर उसे पीछे हटने पर मजबूर किया। हालांकि जरासंध की शक्तिशाली सेना को हराना भी कठिन था।

जरासंध के बार बार आक्रमण करने के कारण श्री कृष्ण ने मथुरा को छोड़कर द्वारका में बसने का निर्णय लिया, ताकि जरासंध के निरंतर आक्रमणों से मथुरा के लोगों को बचाया जा सके। इस कारण से जरासंध और श्री कृष्ण के बीच शत्रुता बनी रही और जरासंध का मुख्य उद्देश्य श्री कृष्ण से बदला लेना बन गया।

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जरासंध की मृत्यु – How Jarasandha Died?

Animation of Bheem killing Jarasandha
भीम जरासंध का वध करते हुए |

जरासंध की मृत्यु का मुख्य श्रेय भीमसेन को जाता है। पांडवों के राजसूय यज्ञ के दौरान श्री कृष्ण ने सुझाव दिया कि, जरासंध को हराना आवश्यक है क्योंकि वह कई राजाओं को बंदी बनाकर अपने राज्य में कैद किए हुए था। जिसके बाद श्री कृष्ण, अर्जुन और भीम ने जरासंध के पास जाकर उसे द्वंद्व युद्ध के लिए चुनौती दी। जरासंध ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया और भीम के साथ भीषण युद्ध किया। यह युद्ध कई दिनों तक चला, लेकिन जरासंध को हराना आसान नहीं था। क्योंकि उसे जरा नामक राक्षसी के आशीर्वाद से दोबारा जीवित होने की शक्ति प्राप्त थी। जिस शक्ति के बल पर, भीमसेन द्वारा उसे बार-बार बीच से चीरने के बावजूद वो एक हो जाता था।

जिसके बाद श्री कृष्ण ने भीम को पत्तों को अलग-अलग टुकड़ों में फेंक कर संकेत दिया। यानि जरासंध का शरीर दो हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे राक्षसी जरा ने उसे जोड़ा था। भीम ने इसी योजना का पालन किया और जरासंध के शरीर को दो हिस्सों में फाड़कर उसे मार डाला।

इस प्रकार जरासंध का अंत हुआ और बंदी बनाए गए सभी राजा मुक्त हो गए।

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Last Update: 24 September 2024

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