वृंदावन के 17 प्रमुख घाटों में से एक युगल घाट,अपने पौराणिक महत्व और भगवान श्री कृष्ण की जीवन कथाओं से जुड़े होने के कारण अविश्वसनीय रूप से प्रसिद्ध है। युगल किशोर मंदिर परिसर के ठीक पीछे मौजूद युगल घाट,अपने अलग-अलग कारणों और धार्मिक मूल्यों के लिए जाना जाता है। तो आइए वृंदावन के इस अनुपम घाट के दर्शन पर चलते हैं।
यह भी जानें – भागवद गीता का असली भावार्थ, जानिए OSHO Geeta Darshan में |
विषय सूचि
युगल घाट कहाँ है ? Where is Yugal ghat?
मथुरा से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर वृन्दावन में स्थित युगल घाट, श्री यमुना नदी के तट पर मौजूद है। युगल घाट के ठीक पीछे मौजूद युगल किशोर मंदिर, मथुरा वृन्दावन के प्रमुख मंदिरों में से एक है | पौराणिक कथाओं और उपलब्ध लिखित अभिलेखों के अनुसार, दिव्य युगल यानि राधा-कृष्ण इसी स्थान पर एक साथ स्नान किया करते थे। लोगों का यह भी मानना है कि यदि आप युगल घाट के पानी में स्नान करते हैं, तो आप दिव्य युगल को स्वयं स्नान करते हुए देख सकते हैं। यही नहीं युगल घाट पर सूर्यास्त देखना अपने आप में एक अनुपम अनुभव माना जाता है।
युगल घाट का इतिहास – Yugal Ghat History
युगल घाट का इतिहास द्वापरयुग से भी पुराना है। लेकिन इसका नवीन निर्माण जयपुर के श्रद्धालु हरिदास, गोविंद दास ठाकुर ने करवाया था। जहां लाल पत्थरों को तराश कर, शिखर पर आमलक कलश व बिजौरा की स्थापना भी की गयी थी। जो समय बीतने के साथ नष्ट हो गया। जिसका बाद में पुनर्निर्माण भी करवा गया था।
यह भी पढ़ें – जयपुर मन्दिर (Jaipur Mandir) के लिए कराया गया ख़ास रेलपथ का निर्माण
क्यों खास है युगल घाट ?
युगल घाट के बारे में कहा जाता है कि, यह दिव्य घाट द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का साक्षी रहा है। जो आज भी अपनी दिव्यता से राधा-कृष्ण के अनुपम प्रेम की गवाही देता है। वृंदावन के इस अत्यंत प्राचीन घाट का वर्णन पुराणों में भी मिलता है। जिसमें बताया गया है कि, अपने समय में भगवान श्री कृष्ण ने अपनी ज्यादातर लीलाएं इसी घाट के आसपास की थीं। यही नहीं पुराणों में ये भी बताया गया है कि, युगल घाट के किनारे अक्सर श्री कृष्ण, राधा रानी के साथ विहार पर आते थे। अत्यंत प्राचीन युगल घाट को ब्रज मण्डल में जुगल घाट के नाम से भी जाना जाता है।